बराक नदी उत्तर पूर्वी क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। इसका उद्गम स्थान नागालैंड के कोहिमा के दक्षिण में नागालैंड - मणिपुर बॉर्डर के पास है । यह नदी नागालैंड, मणिपुर और असम में से गुजरने के पश्चात भंगा में दो धाराओं में विभाजित हो जाती है जिसे सुरमा और कुशीयारा कहा जाता है । ये दोनों धाराएं बांग्लादेश के मार्कुली में जाकर फिर से मिल जाती हैं और उसके बाद इस नदी को मेघना कहा जाता है । बराक - मेघना नदी प्रणाली की कुल लंबाई 900 किलोमीटर (उद्गम से लेकर बांग्लादेश के चंदपुर तक) है । इसमें से 524 किलोमीटर भारत में है, 31 किलोमीटर भारत-बांग्लादेश सीमा पर और शेष बांग्लादेश में है । भारत के 524 किलोमीटर में से 403 किलोमीटर लखीमपुर प्रखंड में है जो कि पहाड़ी इलाके में हैं और यह नौपरिवहन योग्य नहीं है ।
भारत में बराक नदी का लखिमपुर और भंगा के बीच 121 किलोमीटर का नौचालन प्रखंड है जिसे वर्ष 2016 में राष्ट्रीय जलमार्ग-16 घोषित किया गया है ।
राष्ट्रीय जलमार्ग-16 पर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन को पहले से ही शुरू कर दिया गया है । इस प्रक्रिया में, सिलचर- भंगा प्रखंड में निकर्षन कार्य प्रगति पर है और लगभग 65 % कार्य जून, 2018 तक पूरा हो चुका है । करीमगंज और बदरपुर में फ्लोटिंग टर्मिनलों के विकास के लिए तथा साथ ही कार्गो के लिए यांत्रिक रखरखाव और भंडारण सुविधाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की गई है। सिलचर में अन्तर्देशीय जल परिवहन आधारित मल्टीमॉडल टर्मिनल के विकास करने की भी योजना है ।