घोषणा की तारीख – अक्तूबर, 1986
हल्दिया (सागर) और इलाहाबाद के बीच (1620 कि.मी.) गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली को 1986 में राष्ट्रीय जलमार्ग सं. 1 (रा.ज.-1) के रूप में घोषित किया गया था । तब से भाअजप्रा जलमार्ग पर इसकी नौचालनीयता तथा विकास एवं अन्य अवसंरचना जैसे टर्मिनल तथा नौचालन सहायता के सुधार के लिये भाअजप्रा अधिनियम, 1985 (1985 का 82) में यथानिहित अनेक विकासात्मक कार्यों को करता आ रहा है । भाअजप्रा अधिनियम के अनुसार नौचालन हेतु राष्ट्रीय जलमार्गों के विकास तथा विनियमित करने के लिये उत्तरदायी है, भाअजप्रा हल्दिया (सागर) और फरक्का के बीच(560 कि.मी.) 3 मी., फरक्का-बाढ़ के बीच (400 कि.मी.) 2.5 मी., बाढ़-गाजीपुर के बीच (290 कि.मी.) 2.0 मी. तथा चुनार-इलाहाबाद क्षेत्र के बीच (370 कि.मी.)1.2 से 1.5 मी. न्यूनतम उपलब्ध गइराई (एलएडी) का अनुरक्षण करता रहा था ।
आजकल राष्ट्रीय जलमार्ग का प्रयोग विभिन्न कार्गो जलयानों, ओडीसी वाहकों, पर्यटक जलयानों तथा भाअजप्रा जलयानों आदि द्वारा किया जाता है। हल्दिया/सैंडहैड्स से फरक्का में एनटीपीसी विद्युत संयंत्र तक रा.ज.-1 के जरिये मैसर्स जिंदल आईटीएफ लिमिटेड द्वारा आयातित कोयले के 3 एमएमटीपीए के परिवहन की परियोजना के तहत, अक्तूबर/नवम्बर, 2013 से हल्दिया/सैंडहैड्स और फरक्का के बीच 2000 डीडब्ल्यूटी प्रति क्षमता के लगभग 20 बार्जेज का आवागमन प्रारंभ हो गया था तथा इस परियोजना के तहत मई, 2014 तक फरक्का में 2.6 लाख टन कोयला पहुंच चुका था । 2013-2014 के दौरान क्रमश: हल्दिया से फतुहा (पटना) तक मैसर्स टाटा केमिकल्स का 2600 टन तथा फतुहा (पटना) से कोलकाता तक मैसर्स इफ्को फुलपुर का दूसरा 2500 टन उर्वरक का ट्रायल आवागमन सफलतापूर्वक किया गया । आगे, वर्ष 2013-14 के दौरान क्रमश: मैसर्स हेरिटेज रिवर क्रूज प्राइवेट लिमिटेड के आरवी बंगाल गंगा तथा मैसर्स आसाम बंगाल नेवीगेशन कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के एबीएन सुखाफा ने कोलकाता-सेमारया-कोलकाता तथा कोलकाता-पटना-कोलकाता में रा.ज.-I पर सफलतापूर्वक अपनी समुद्री यात्रा पूरी की।
वर्तमान में अनेक विद्युत कंपनियों में ताप विद्युत परियोजनाओं की स्थापना तथा बड़े आकार के कार्गों (ओडीसी), एनटीपीसी परियोजनाओं हेतु आयातित कोयला के विस्तारित आवागमन आगामी 4-5 वर्षों के दौरान रा.ज.-I पर किये जाने हेतु योजना है। भाअजप्रा चौथे भावी वर्ष के दौरान ड्रेजिंग फलीट को बढ़ाने की योजना बना रहा है। बंडलिंग के साथ-साथ अतिरिक्त ड्रेजरों को लगाने के बाद, भाअजप्रा फरक्का-बाड़ अर्थात लगभग 235 किलोमीटर प्रखंड के बजाए फरक्का-बक्सर प्रखंड में 2.0 मीटर के मुकाबले 2.5 मीटर गहराई के बढ़े हुए लक्ष्य के साथ 2.5 मीटर की बढ़ी हुई न्यूनतम गहराई प्रदान करने की योजना बनाई है। इसके आगे, भाअजप्रा ने गाजीपुर अर्थात लगभग 133 किलोमीटर प्रखंड के स्थान पर वाराणसी तक 1.5 मीटर के मुकाबले 2.0 मीटर गहराई की बढ़े हुए लक्ष्य के साथ वाराणसी तक 2.0 मीटर एलएडी विकसित करने की योजना बनाई है।
इसके अलावा, इलाहाबाद-बक्सर प्रखंड में 3.0 मी. एलएडी प्रदान करने के लिये मैसर्स डीएचआई (इंडिया) वाटर एंड एन्वायरमेंट प्रा. लि. के जरिये एक तकनीकी संभाव्यता अध्ययन हाल ही में संपन्न हुआ है । इस राष्ट्रीय जलमार्ग के विकास के लिये लगभग यूएस डालर 700 मिलियन (लगभग रू. 4200 करोड़) की विश्व बैंक सहायता हेतु पोत परिवहन मंत्रालय तथा आर्थिक कार्य विभाग के समक्ष एक परियोजना दर्शाते हुए इस अध्ययन ने भाअजप्रा को मार्ग दिखाया था तथा भारत के माननीय वित्त मंत्री, श्री अरूण जेटली के वर्ष 2014 के बजट भाषण में इसे जलमार्ग विकास का नाम दिया गया है । इस दिशा में विभिन्न उपाय किये जा रहे हैं । इससे देश के इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण जलमार्ग पर अजप के पुनरूद्धार हेतु अन्य महत्वपूर्ण परियोजना में विकास हो सकेगा । रा.ज.-1 पर महत्वपूर्ण स्थानों तथा भाअजप्रा के अवसंरचना स्थानों को दर्शाते हुए, एक मानचित्र नीचे दिया गया है :
थाईलैंड के जलमार्गों में से एक पर एक फ़्लोटिंग बाजार एक जलमार्ग पानी का कोई भी नौसिखिया शरीर है। अस्पष्टता, और समकक्ष से बचने के लिए व्यापक भेद उपयोगी हैं।
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